इस अवसर पर सभी देशवासियों से विनम्र निवेदन है कि वे अपने जीवन में 12 वर्षीय बाल हकीकत के बलिदान से प्रेरणा लें। जिस बालक ने कट्टरपंथी मुस्लिम काल में अनेक लोभ व फांसी की धमकी के सम्मुख न झुकते हुए सिर कटाना स्वीकार किया परन्तु धर्म को छोड़ना स्वीकार नहीं किया। इस अवसर पर अपनी रोती हुई माता के यह कहने कि मुस्लिम बन कर ही अपने जीवन को बचा ले, को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करके मृत्यु का हंसकर वरण कर लिया।
मेरे देशवासियो! इधर आप हैं, जो देश व धर्म के प्रति अपने कर्त्तव्य को भूलते जा रहे हैं, आज लोभ के वशीभूत हमारे अनेक राजनेता, कथित बुद्धिजीवी, कथित मानवाधिकारवादी, कथित सामाजिक कार्यकर्त्ता, शिक्षित युवा